Saturday 5 November 2016

Hindi poem : तेरी शख्सियत

                         तेरी शख्सियत



बेरुखी पे किसी की न कर ऐतराज़ कभी
शख्सियत तेरी, किसी के ज़िक्र की मोहताज नही ।
तू वो हुंकार है जिसे गूंजना है परे आसमानों के
सिसकियों सी दब जाये, ऐसी तू आवाज़ नही ।

शख्सियत तेरी किसी के ज़िक्र की मोहताज नही।

कहीं भीड़ में हज़ारों की पाये खुद को तन्हा अगर
दिल में हो सैलाब दर्द का , न आये बाँटने कोई मगर
चाहे बहा देना आंसू की नदियाँ पर याद रहे फिर मुस्कुराना है
ग़म के बोझ में दबना नही , फ़क्र से सर उठाना है ।

कोई खुद को ही जो लाश मान ने, उसका फिर इलाज नही
सिसकियों सी दब जाये, ऐसी तू आवाज़ नही ।

शख्सियत तेरी , किसी के ज़िक्र की मोहताज नही।

धुन न सही पर लाना हर ख्याल में इक तराना है
बनके दिखा मिसाल कोई , भुलाया जाता हर अफ़साना है ।
क्या हुआ न क़द्रदान जो कोई, खुद के लिए ही गाता जा
सुर के इस सागर में तू भी सुर की नदियाँ मिलाता जा

न करे ध्वनि जो तार छेड़ के, तू ज़ंग लगा वो साज नही
जो सिसकियों सी दब जाये , ऐसी तू आवाज़ नही ।

शख्सियत तेरी किसी के ज़िक्र की मोहताज नही ।

कुछ सुनता जा कुछ कहता जा, लफ़्ज़ों की ढेरी तहता जा
हर लफ्ज़ हो मीठा , नही ज़रूरी ; है जो सच वो कहता जा ।
जहाँ समझे न कोई लफ्ज़ के मायने, ख़ामोशी ही वहां जवाब है
बेबाकी जो रमी है तुझमे, तो तू लाजवाब है ।

जो खुद के ज़मीर को लगे कुरेदने , ऐसा तू अल्फ़ाज़ नही
सिसकियों सी दब जाये , ऐसी तू आवाज़ नही ।

शख्सियत तेरी किसी के ज़िक्र की मोहताज नही ।

पस्त न होने दे हौंसले, ये भी पर से कम नहीँ
पहले कदम में गिरे भले ही , उसका भी फिर ग़म नही
चाँद भी होगा मुट्ठी में बस, तारों में पहचान रख
आसमाँ अब दूर नही बस जारी ये उड़ान रख ।

मंज़िल से पहले रुक जाए, ऐसी तेरी परवाज़ नही
जो सिसकिओं सी दब जाये , ऐसी तू आवाज़ नही ।

शख्सियत तेरी, किसी के ज़िक्र की मोहताज नही ।
ज़िन्दगी तेरी किसी की फ़िक्र की मोहताज नही ।

Wednesday 2 November 2016

Hindi poem: तमो गुण से सतो गुण की ओर

तमो गुण से सतो गुण की ओर


तम को उज्जवल कर दे जो , हर सोच में वो मशाल है
तेज़ हवा से डर कैसा , हर साँस तेरी तूफ़ान है।
जो समय कभी विकट लगे
काल भी निकट लगे
न डर , निडर हो कर्म कर
जो है तेरा वो धर्म कर।
दुखों से तू भ्रमित न हो
चिंताओं से ग्रसित न हो
कुछ पल मन को शमशान बना
चिंताओं की तू चिता जला
राख भी जो बचे अगर
बिना विलम्ब तू दे बहा।
जो बीती ,बदलना न तेरे हाथ में
क्यों फ़िक्र कल की है हर बात में
है आज तेरा, तू इसी को जी
जो करना है वो कर अभी ।
क्या हुआ जो कोई न साथ है
तेरी ताक़त खुद के हाथ हैं।
जो पाये अकेला खुद को कभी
कर याद के शिव तेरे साथ हैं
कोई कहे बुरा न विचलित हो
क्रोध को तुझे हराना है,
चुरा के गम में पल हंसी के
खुद को तुझे हंसाना है ।
न कर परवाह ज़माने की कुछ करके खुद को ही दिखाना है,
तमो रजो गुण से उठ कर सतो गुण में जाना है।
यही है शान्ति , यही स्वर्ग है , इसी हवा में समाना है
तमो रजो गुण से उठ कर , सतो गुण में जाना है ।
तमो रजो गुण से उठ कर , सतो गुण में जाना है ।

Monday 15 August 2016

VOICE OF A POSITIVE VIBE


A beavy of opaque spectre is cluster around; Insomniac me, crashing each night counting the stars.
I am like a priest standing against an invincible demon, fighting endless wars.

The situation is indescribable, incurable and mischief is galore;
Goodness is diffident, little bit abashed standing on the backdoor.

The all I need is a mud cup partially filled with confidence ;
I am not frightened but , facing constraint  in this this situation is my stance .

I am crooning the couplet to revive my aghast soul;
Don't force me to reside in the canopy of disgrace, I can't sustain that dole.

I am obeying my duty and deeds to overturn this sensation of sinister;
This a search of divine sight ,to see beyond the ocean of illusion forming luster.

 Stop crushing me inside, I want to rise up again;
Now come out of this atephobia and soak the energetic rain.

I am dragging you back, to the right track;
Not from any volcanic origin, this evaluation will rise from a minor crack.

Oh man! Oh man!

Listen my voice , don't loose your hope.
If you have a desire, you have a scope.

There's no situation to say "its too late"
Whateve you do becomes your fate .

you are still alive , you can still revive;
Just feel me inside you , just feel this POSITIVE VIBE .


THANKS FOR READING

Tuesday 2 February 2016

Hindi Poetry : मदमस्त जहाँ





मोहब्बत की हवाओं में, मदमस्त जहाँ हो गया,
नाम इस आशिक का , गुमनाम कहाँ खो गया ।

मशहूर था किसी दिल के शहर में, वो क्यों बदनाम हो गया
इश्क तो हवाओं में था कमबख्त मुझे ही जुकाम हो गया ।

कहते थे कभी लोग सभी, किस्से मेरी कहानी के
मुख्य उस कहानी का किरदार कहाँ खो गया।

मोहब्बत की हवाओं में, मदमस्त जहाँ हो गया,
नाम इस आशिक का , गुमनाम कहाँ खो गया ।




रुकते गये कदम  मेरे , मंजिल से दूर मैं हो गया,
कछुआ ज़माना निकला आगे, अहं में खरगोश मैं सो गया ।

अनमोल मेरे लफ्जों का जाने, मोल कहाँ वो खो गया ;
फैला जो फिर शोर हर तरफ, सहसा चुप मैं हो गया ।

हर भाव ज़माना देख रहा था, बिन आंसुओं के रो गया;
भीतर ही भीतर आंसू हर अरमान दिल से धो गया।

मोहब्बत की हवाओं में, मदमस्त जहाँ हो गया,
नाम इस आशिक का , गुमनाम कहाँ खो गया ।




छूट गया घर बार, आसमां छत नई अब हो गया
 मौत हसीना से मिलना था , पर जीने का न मोह गया।

तिरछी हर नजर हो गयी, ज़रा लीक से हटकर जो गया;
कचहरी लगी जो रिवाजों की , साबित गुनाहगार मैं हो गया ।

जिस दिल के टूटे ख्वाब कांच से, पत्थर का वो हो गया;
ये शख्स तो जिंदा है मगर, वो 'कलाकार' कहाँ सो गया ।

मोहब्बत की हवाओं में, मदमस्त जहाँ हो गया,
नाम इस आशिक का , गुमनाम कहाँ खो गया ।


धन्यवाद ।











Monday 25 January 2016

Hindi poetry : वतन से इश्क


वतन से इश्क






आंधियों से हो भयभीत,
बिना दुखों के ही  ग़मगीन
क्यों डरते हो तूफानों से ,जरा एक फ़िक्र हटा कर तो देखो;
तुमसे हर तूफ़ान डरेगा, हिम्मत ज़रा जुटा कर तो देखो।

पस्त हो रहा होंसला
लगे हर इरादा खोंखला,
क्यों डरते हो ऊँचाइयों से , दिल से डर मिटा कर तो देखो;
ख़िदमत में आकाश झुकेगा , नज़र ज़रा उठा कर तो देखो।

हर तरफ परछाईयां है,
भीतर दिल के तनहाइयाँ है।
क्यों डूबे हो तन्हाईयों में , दुश्मन को दोस्त बना कर  तो देखो;
हर जात धर्म सब साथ चलेगा , ज़रा एक कदम बढ़ा कर तो देखो ।

हर सड़क बंद हर गली बंद
आये न कोई राह नज़र
क्यों जकड़ गये हो इस जाल में , सोया शेर जगा के तो देखो
 देने को रस्ता सागर सूखेगा , पाँव ज़रा भीगा कर तो देखो ।

फ़ैली नफरत हर ओर है
मारकाट का शोर है
संकुचित हुए हो इन जन्ज़ालो में , किसी से दिल मिला कर तो देखो;
हर तरफ प्यार का चमन मिलेगा, ज़रा एक फ़ूल खिला कर तो देखो ।

 मोहब्बत क्यों बदनाम है
सब आशिक क्यों गुमनाम हैं
हर तरफ प्यार की नदी बहेगी, दो बूँद ज़रा बहा कर तो देखो;

कहते हैं सब इश्क गुनाह है, ज़रा वतन से दिल लगा कर तो देखो ।



धन्यवाद ।
जय हिन्द ,
जय भारत ।








Tuesday 19 January 2016

Hindi poetry : कभी कभी मेरे दिल में



कभी कभी मेरे दिल में ये ख्याल आता है
सोच के भंवर में इक बवाल आता है।
रग रग में है  समाया  जो ख़ुदा
वजूद पे उसी के सवाल आता है।


खौफ के अंधियारों में छुपा हुआ जहान है
क्या मिटट्टी तेरी ही नही ये, गर्भ तक जो लहूलुहान है;
क्या ऐसी बातों पे कभी न तेरा ध्यान जाता है ?
कभी कभी मेरे  दिल में ये ख्याल आता है।


समाज में रिवाज में क्यों  फंसी हुई ये जान है,
क्या बेटी तेरी ही नही वो लुटा रही जो मान है;
इस सोच से मन में इक अजब सा भूचाल आता है,
कभी कभी मेरे दिल में ये ख्याल आता है।


तेरे नाम पे दुनिया लूट रहे क्या वो संत फ़कीर महान हैं,
पत्थर और सोने की मूरत क्या दोनों न एक समान हैं;
तेरे दर पे खड़ा होके ये सवाली  सवाल यही दोहराता है,
कभी कभी मेरे दिल में ये ख्याल आता है।


ये दुनिया भी अब अपनी खो चुकी पहचान है
जिंदगी खिलती थी  जहाँ  शहर वो अब वीरान है;
तू सोचे जिसे महान है
जिसपे इतना अभिमान है
ज़रा निगाह गौर से डाल ख़ुदा
वो बन गयी 'शमशान' है ।

क्यों क़व्वाली मातम की  सूफ़ी दिल ये गाता है
मैं ही क्या हर कोई अब तो यही हाल सुनाता है,

'कभी कभी मेरे दिल में ये ख्याल आता है।'


धन्यवाद।






Monday 11 January 2016

A Wandering Thought





On a clueless journey with an aimless mind, searching for a word evolution from the hearts of my heart.

Gyrating around the streets of hollowness, descending upon the peak of emptiness; I am wittingly pretending to act like a maniac.

I am tucking the beauty out of this hoaxing world, smiling nature is giving winking reaction.
A little bit diffident, abashed on my action;
I want to apologize for showing this frivolity, for showing this coyness.


Is it a contingency or a sinister ! leading my aghast soul to a poignant legend; I never wished for the latter but it could be your own wish .

I don't ever fucking doubt these signs, but right now I can feel a rebel in me; Never minding the result whatever it could be.

I was crying without tear , I was dying without fear; now is this a fall or a climb up toward the sky;
I don't know my limts but it is a strategic try.

I feel no need to introduce myself, boasting all the shit which is far away from what I am actually.
I am free vibe , an aimless dart;
I am power packed, memorising art.
Ignoring all inpetitudes.......

I am nothing but a thought wandering in your heart.


Thanks for reading.